प्रख्यात लेखक श्री तेजेन्द्र शर्मा को 27 अगस्त 2014 को केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के सम्मान समारोह में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ‘सत्यनारायण मोटुरी हिन्दी सम्मान’ से सम्मानित करते हुए ..
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एक विराट व्यक्तित्व श्री तेजेन्द्र शर्मा
तेजेंद्र जी एक मृदु भाषी, विचारशील और जिन्दा दिल इंसान है. इनका मनमोहक व्यक्तित्व अजनबी से भी अजनबी व्यक्ति को अपनी और आकर्षित करता है. इनका स्नेह भरा व्यवहार और अपनापन इनके विराट व्यक्तित्व को प्रकट करता है. ये एक ऐसी शख्सियत है की मै इन्हें “पारस मणि” कहना पसंद करूँगा. क्योंकि इनके सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति को कुछ न कुछ सिखने का अवसर अवश्य मिलता है. जिससे की उसके व्यक्तित्व में “लोहे से सोने” बनने की प्रकिया शुरू हो जाती है.
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एक विराट व्यक्तित्व श्री तेजेन्द्र शर्मा
तेजेंद्र
जी का जन्म 21 अक्टूम्बर 1952 को पंजाब के जगराँव शहर में हुआ. पिता रेलवे में
सहायक स्टेशन मास्टर थे. इसलिए इनका बचपन रेलवे के क्वाटरों में गुजरा. उचाना,
रोहतक (जो अब हरियाणा में है ) और मौड़ मंडी में बचपन के कुछ वर्ष बिता कर 1960 में
पिता का तबादला होने से दिल्ली आये.मूलतः पंजाबी भाषी तेजेंद्र जी की शिक्षा अन्धामुगल
क्षेत्र के सरकारी विद्यालय में हुई.फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. ओनर्स
अंग्रेजी और एम.ए. अंग्रेजी में करने के साथ साथ आपने कंप्यूटर कार्य में भी डिप्लोमा की शिक्षा
पूर्ण कि. बचपन से ही रेलवे विभाग से इनका बेहद करीबी रिश्ता होने से इन्होने अपना
कर्मक्षेत्र रेलवे को ही चुना.वर्तमान में तेजेंद्र जी लन्दन के ओवर ग्राउंड रेलवे
में कार्यरत है.
बहुमुखी
प्रतिभा के धनी तेजेंद्र जी शर्मा हिंदी साहित्य जगत में नाम आज किसी परिचय का
मोहताज़ नही है.. गद्य साहित्य (विशेष कर कहानी विद्या) में जाने पहचाने हस्ताक्षर
है. पिछले दो दशको से लन्दन (इंग्लेंड) की विदेशी धरा पर रहकर भी अपने वतन की मिट्टी की सौंधी महक को अपनी साँसों में बसाये है. अपने सांस्कृतिक मूल्यों और
आदर्शो के साथ साथ मातृभाषा हिंदी का परचम लहरा रहे है.
दर्जन
भर कहानी संग्रह और अन्य पुस्तकों के लेखन के अतिरिक्त कई बेतरीन पुस्तको और
पत्रिकाओं का संपादन भी किया है.सैकड़ो पत्र पत्रिकाओं में इनकी कहानियां निरंतर
प्रकाशित होती है..कई कहानियों और पुस्तको का कई भाषा में भी अनुवाद हुआ है. इंग्लेंड
से प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ पत्रिका “पुरवाई”
का दो वर्षो तक संपादन कार्य भी किया.
लेखन के साथ साथ अभिनय में भी तेजेंद्र जी अपनी
प्रतिभा का लोहा मनवाया है. अन्नू कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म “अभय”
में अभिनेता नाना पाटेकर के साथ अभिनय किया.कई नाटकों में भी इन्होने भाग लिया और समाचार वाचन भी किया.
तेजेंद्र
जी की कहानियां पुस्तकों या पत्रिकाओं तक ही सीमित नही रही, बल्कि भारत में ऑल
इण्डिया रेडियो, दूरदर्शन पर प्रसारित होने के साथ साथ विदेशो में बी.बी.सी. लन्दन
और सन राईस लन्दन से भी इनकी कहानियां प्रसारित हुई.दूरदर्शन के लिए लिखा गया इनका
सीरियल “शान्ति”
काफी लोकप्रिय रहा.
इनकी
कहानियां पाठको को जीवन के यथार्थ से परिचय कराती है.भावों की सहजता,नवीनता और
भाषा की सादगी के साथ साथ अनुभवों की गहनता जीवन का बोध कराती है.इनकी कहानियों
में जीवन के कटु सत्यों से साक्षात्कार होता है और मानवीय रिश्तों की तलाश भी बहुत
ही व्यवारिकता से होती है.इनकी कहानियों में पाठक को खुद के जीवन का यथार्थ पाता
है. उसे ऐसा लगता हैं कहानीकार खुद के अनुभव नही सुना रहा है बल्कि पाठक के जीवन
और उसके इर्द गिर्द के वातावरण की सच्चाई को ही सुना रहा है. और यही कारण है की तेजेंद्र जी का लेखन पाठक को शुरू से अंत तक बांधे रखती है.और
आज विश्व के हर कोने में इनको पढ़ा और सराहा जाता है.
तेजेंद्र जी एक मृदु भाषी, विचारशील और जिन्दा दिल इंसान है. इनका मनमोहक व्यक्तित्व अजनबी से भी अजनबी व्यक्ति को अपनी और आकर्षित करता है. इनका स्नेह भरा व्यवहार और अपनापन इनके विराट व्यक्तित्व को प्रकट करता है. ये एक ऐसी शख्सियत है की मै इन्हें “पारस मणि” कहना पसंद करूँगा. क्योंकि इनके सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति को कुछ न कुछ सिखने का अवसर अवश्य मिलता है. जिससे की उसके व्यक्तित्व में “लोहे से सोने” बनने की प्रकिया शुरू हो जाती है.
अंत
में श्री तेजेंद्र शर्मा जी को “ डॉ. सत्यनारायण मोटुरी सम्मान” के साथ साथ निरंतर उन्नति की ढेरों
हार्द्धिक शुभ कामनाएं और बधाइयाँ...
तरुण
कुमार सोनी “ तन्वीर”
(युवा
लेखक/समीक्षक/और संपादक)
Email-
tarunksoni.tanveer@gmail.com
वेब
ब्लॉग- www.nanhiudaan.blogspot.com
तेजेंद्र जी हमारे प्रेरणा श्रोत हैं....और उनकी प्रतिभा देख ऐसा प्रतीत होता है कि अभी वे किशोर हुए हों, फिर युवा होंगे और फिर प्रौढ़...गज़ब की ऊर्जस्विता है उनमे...हमेशा ऑनलाइन रहते हैं...लाखों लोगों से कनेक्टेड हैं और सभी के अपने तेजेंद्र जी की प्रतिभा को सलाम....साथ ही इस ग्लोबल दर्शन साईट का शुक्रिया जिसने थोड़े में तेजेंद्र जी के बारे में इत्ती-सारी उपलब्ध कराई...
ReplyDeleteशुक्रिया अनवर साहब। मुझे भी तेजेन्द्र जी के बारे में बहुत सी जानकारी इस लेख से मिली। तरुण ने बाकायदा उनके लम्बे साक्षात्कार लिए हैं. तेजेन्द्र जी की कहानियाँ वाकई हम सब को प्रभावित करती हैं.
Deleteशुक्रिया अनवर सर आपकी प्रतिक्रियां हमारे लिए अमूल्य है...हार्द्धिक आभार.
Deleteतेजेन्द्र जी के व्यक्तित्व एवं रचनाओं पर सम्पूर्ण दृष्टि डाली है आपने। सुन्दर।
ReplyDeleteशुक्रिया शिखा जी, आपको लेख पसंद आया, बहुत बड़ी बात है.
Deleteशिखा मेम सादर अभिवादन.आपको मेरा आलेख पसंद आया और आपने अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया दी उसके लिए आपका हार्द्धिक आभार.
Delete..
तरुण कु. सोनी तन्वीर
अति सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया मनन जी
Deleteहार्द्धिक आभार मनन सर
Deleteआपकी इस पोस्ट के माध्यम से तेजेन्द्र शर्मा जी को जानने का अवसर मिला. आभार...
ReplyDeleteशुक्रिया सुमित जी. आशा है हमें तेजेन्द्र जी को और क़रीब से जानने और मिलने का भी अवसर मिलेगा
Deleteशुक्रिया सुमित जी.
Deleteआभार साहित्य की महान विभूति का परिचय देने के लिए .......सुंदर आलेख
ReplyDeleteधन्यवाद आपको। हम आभारित हुए.
Deleteहार्द्धिक आभार दिलबाग जी.
Deleteआपकी इस पोस्ट के माध्यम से तेजेन्द्र शर्मा जी को जानने का अवसर मिला. आभार...
ReplyDeleteशुक्रिया राधा जी. हमारी कोशिश रहेगी सभी प्रवासी रचनाकारों को क़रीब से जानने की. उनकी रचनाओं की बारीक मीमांसा की.
Deleteहार्द्धिक आभार राधा मेम.
Deleteतरुण, आपका लेख बहुत तो बहुत पसंद किया गया बधाई।
ReplyDeleteशुक्रिया पंखुरी जी, इस बधाई का हकदार में अकेला नही आप भी है.
Deleteप्रवासी साहित्य पर बरसो से कुछ लिखने और एक मंच बनाने का स्वप्न था उन स्वप्न को आपने ग्लोबल दर्शन के माध्यम से यथार्थ में बदलने का अवसर दिया उसके लिए आभारी हूँ.
अति उत्तम और अति सुंदर लेख लिखा है आपने तरुण जी!!! आपको बहुत बहुत बधाई!!!
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