अभिनव अरुण
परिचय---
पूर्व उपसंपादक दैनिक
‘’आज’’ जमशेदपुर , पूर्व उद्घोषक आकाशवाणी - जमशेदपुर एवं विविध भारती - मुंबई |
विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं - रेडियो - टी. वी. पर रचनाएँ प्रकाशित – प्रसारित |
मंचों के प्रशंसित
संचालक एवं रचनाकार ..
सम्प्रति -वरिष्ठ उदघोषक आकाशवाणी वाराणसी .
संपर्क-----बी - 12 , शीतल कुंज ,लेन - 10 , निराला नगर ,महमूरगंज ,
वाराणसी - 221010(उ.प्र.)ईमेल- arunkrpnd@gmail.com
वाराणसी - 221010(उ.प्र.)ईमेल- arunkrpnd@gmail.com
कविता - सिडनी सेतु !
कुछ बर्फ के फाहे
सिडनी सेतु को चूमती नदी की कुछ बूँदें
ऑस्ट्रेलिया के साफ नीले आसमान से कुछ
टुकड़े बादल के
ले आना साथ अपने
हम सुनेंगे भारत में
जुगनू की रौशनी में
एक अप्रवासी की प्रेम कवितायेँ
कंचनजंघा के साये में उगी
चाय के प्याले के साथ
काशी के घाट पर
सीढ़ियों की गवाही के बीच
माँ गंगा को साक्षी मान
हो सके तो साथ ले आना
आकाश में निर्विकार सौदेश्य विचरते
झक्क सफ़ेद पंछियों की ऊंची उड़ान
उनके परों का मखमली स्पर्श
उनकी वो दृष्टि भी जो देख लेती है
ऊँचे आसमान से
समंदर में छिपे अपने लक्ष्य को
और हाँ ज़रूर साथ ले आना
हरियाली पगे पर्वतों पर उगे दरख़्त की नवल कोंपलें
जो छूना चाहती हैं सूरज को
पी जाना चाहती हैं तम्बी कुंवारी किरणें
क्योंकि मैं अनुभूत करना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ
पुरखों का आशीवार्द
काशी के घाट पर
सीढ़ियों की गवाही के बीच
माँ गंगा को साक्षी मान
कुछ बर्फ के फाहे
सिडनी सेतु को चूमती नदी की कुछ बूँदें
ऑस्ट्रेलिया के साफ नीले आसमान से कुछ
टुकड़े बादल के
ले आना साथ अपने
हम सुनेंगे भारत में
जुगनू की रौशनी में
एक अप्रवासी की प्रेम कवितायेँ
कंचनजंघा के साये में उगी
चाय के प्याले के साथ
काशी के घाट पर
सीढ़ियों की गवाही के बीच
माँ गंगा को साक्षी मान
हो सके तो साथ ले आना
आकाश में निर्विकार सौदेश्य विचरते
झक्क सफ़ेद पंछियों की ऊंची उड़ान
उनके परों का मखमली स्पर्श
उनकी वो दृष्टि भी जो देख लेती है
ऊँचे आसमान से
समंदर में छिपे अपने लक्ष्य को
और हाँ ज़रूर साथ ले आना
हरियाली पगे पर्वतों पर उगे दरख़्त की नवल कोंपलें
जो छूना चाहती हैं सूरज को
पी जाना चाहती हैं तम्बी कुंवारी किरणें
क्योंकि मैं अनुभूत करना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ
पुरखों का आशीवार्द
काशी के घाट पर
सीढ़ियों की गवाही के बीच
माँ गंगा को साक्षी मान
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----------- अभिनव अरुण
हार्दिक आभार इस अकिंचन की काव्य रचना को ''ग्लोबल दर्शन''के प्रवेशांक में स्थान देने के लिए | साथ ही हार्दिक बधाई और शुभकामनायें इस साहित्यिक पत्रिका \ साईट के लिए |''ग्लोबल दर्शन '' अपने उद्देश्यों में सफल हो ! शुभ सृजन - शुभ साहित्य !!
ReplyDeleteकंचन जंघा के साये में उगी, चाय के प्याले के साथ, सुनेगें एक अप्रवासी की प्रेम कवितायेँ' एक नहीं अनेक कविताएं और किस्से सुनेंगें अभिनव जी
ReplyDeleteधन्यवाद आपको अभिनव जी. इस अद्भुत कविता के लिए, और आपकी शुभकामनाओं के लिए. आगमन सम्मान की बधाई।
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