पहली गद्य पुस्तक आतंकवाद चुनौती और
संघर्ष पर पंडित गोविन्दवल्लभ पंत पुरस्कार एवं इंदिरा गांधी राजभाषा राष्ट्रीय
पुरस्कार. राष्ट्रीय
मानव अधिकार आयोग द्वारा सृजनात्मक लेखन के लिए पुरस्कार। और
भी अनेक नेक सम्मान। सीमा सुरक्षा बल के निर्माता एवं प्रथम महानिदेशक के
जीवन मूल्यों पर किताबें सम्पादित। दो कविता संग्रह। सरहद से संग्रह का श्री एस सी
विश्वकर्मा के साथ अंग्रेजी में अनुवाद। इस किताब का भाषाओँ में अनुवाद और
प्रकाशन। कवि सम्मेलनों और विचार गोष्ठिओं में अंतर राष्ट्रीय रूप से सक्रिय। सीमा
सुरक्षा बल में महानिरीक्षक के पद पर कार्यरत।
mlbathambsf@gmail.com
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क्षणिकाएं
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क्षणिकाएं
1.
मैं
अपने
पाँव
कहाँ
कहाँ
से
बचाता
सारी
ज़मीन
है
खून
से
लथपथ
पहले
कीचड़
से
पैर
बचाता
था
अब
पाँव
रखने
को
कीचड
ढूंढता
हूँ
2.
मेरे
सपनों
और
ख्यालों
को
मत
पोतो
खून
से
मैं
जैसा
सोया
था
वैसे
ही
उठना
चाहता
हूँ
3.
जिस
दिन
आदमी
के
कदम
पड़े
चाँद
पर
उसी
दिन
मुझे
ख्याल
आया
कि
अब
यहाँ
भी
बनेंगी
सरहदें
छलनी
होगा
तन
बदन
इसका
भी
और
वो
सूत
कातती
बुढ़िया
बनेगी
इतिहास
डूबकर
खूनी
रंगों
में
4.
सरहद
पर
भी
हम
रोज़
खेल
रहे
हैं
शतरंज
बस
प्यादों
और
मोहरों
की
जगह
इंसान
कट
रहे
हैं
5.
जब
जब
सरहदों
को
नापो
उसकी
लम्बाई
को
नापो
फुटो,
मीटरों
और
मीलों
में
तो
जोड़
देना
उसमे
कुछ
मौतों
की
लम्बाई
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मनोहर गौतम
हकीकत बयां हुई है।
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